बाढ़, तेज़ बारिश-चक्रवात जैसी घटनाओं की चपेट में भारत के 75 फीसदी ज़िले, जानें ये खास बात
दुनिया में बदलते मौसम के कारण बे मौसम बारिश, बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने की घटना में बढोतरी देखी जा रही है. भारत भी इससे अछूता नहीं है और असर स्पष्ट नजर आ रहा है. देश के 75 फीसदी जिले मौसम में आये बदलाव से पड़ने वाले असर का हॉट-स्पॉट बन चुके हैं. इन जिलों में देश की 63.8 करोड़ आबादी निवास करती है. मौसम में बदलाव के कारण ऐसे जिलों में चक्रवात, बाढ़, सूखा, लू और ठंड का प्रकोप बढ़ा है. यह दावा काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वॉटर द्वारा किये गये अध्ययन में किया गया है.
अध्ययन में कहा गया है कि पर्यावरण क्षरण के कारण 1970 से 2005 के बीच 250 गंभीर किस्म की प्राकृतिक आपदा आयी, जबकि 2005 से अबतक सिर्फ 15 साल में यह संख्या बढ़कर 310 हो चुकी है. अध्ययन में कहा गया है कि 1970 से 2005 के बीच बाढ़, भूस्खलन, चक्रवाती तूफान, तेज बारिश, बादल फटने जैसी घटनाओं में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है. वर्ष 2019 में देश में भयंकर बाढ़ के 16 मामले सामने आये और इससे 151 जिले प्रभावित हुए. अध्ययन में कहा गया है कि मौजूदा समय में लगभग 10 करोड़ आबादी बाढ़ के खतरे का सामना कर रही है. प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि सिर्फ तापमान में 0.6 सेल्सियस के बढ़ने से हुई है. अगर तापमान और बढ़ता है तो खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है.
मौजूदा समय में वैश्विक स्तर पर मौसम में आये बदलाव के कारण प्रभावित देशों में भारत पांचवें स्थान पर है. अध्ययन में कहा गया है कि इसके खतरे से निबटने के लिये वित्त, तकनीक और मौसम संबंधी सटीक डाटा तक पहुंच होना बेहद जरूरी है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यह देखने में आ रहा है कि बाढ़ प्रभावित जिले सूखे की और सूखा प्रभावित बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं.