क्या कोरोना वैक्सीन से प्री-टर्म बर्थ का है खतरा ? जान लें ये बात
डॉ टेड्रोस अधनोम गेब्रेयसस (प्रमुख, डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि ओमिक्रोन का प्रभाव खासकर वैक्सीनेटेड लोगों में डेल्टा की तुलना में हल्का लग रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे हल्का मान लिया जाना चाहिए. नये वैरिएंट के कारण रिकॉर्ड संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. यह पिछले वैरिएंट्स की तरह ही लोगों को अस्पताल में भर्ती कर रहा है. इस कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बढ़ रहा है. ऐसे में इस वैरिएंट को हल्के में बिल्कुल भी नहीं लें और प्रोटोकॉल का पालन करें.
कोविड वैक्सीन से प्री-टर्म बर्थ का खतरा नहीं : स्टडी
एक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 टीकाकरण, शिशु के समय से पहले जन्म (प्री-टर्म बर्थ) या शिशुओं के सामान्य वजन से कम होने जैसी समस्याओं का कारक नहीं माना जा सकता है. अमेरिका में येल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 होता है, उनमें बीमारी की गंभीरता और मौत का खतरा बढ़ जाता है. यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि टीके की स्वीकृति में एक बाधा यह चिंता भी रही है कि टीकाकरण, गर्भावस्था को बाधित कर सकता है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की चार जनवरी को प्रकाशित यह रिपोर्ट 40,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं पर हुए निरीक्षण पर आधारित है. येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक हीथर लिपकाइंड ने कहा कि गर्भवती महिलाओं में बीमारी की गंभीरता को रोकने के लिए कोविड-19 का टीका लगवाना महत्वपूर्ण है.
वैक्सीन की तीसरी डोज से मिलेगी 88% अधिक सुरक्षा
यूके में हुई एक नयी स्टडी के अनुसार, कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन से संक्रमित होने की स्थिति में कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी डोज कारगर सिद्ध हो सकती है और यह अस्पताल में भर्ती होने जैसे हालातों से 88 प्रतिशत तक सुरक्षा दे सकती है. यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की रिपोर्ट में इस रिसर्च से मिली जानकारियां साझा की गयी हैं. ओमिक्रोन के सिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन के मामलों में भी तीसरी डोज लेने वालों के लिए हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम वैक्सीन न लेने वालों से औसतन 68 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है. शुरुआती विश्लेषणों की मानें, तो 5 से 17 साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों में भी डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रोन इन्फेक्शन से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है.