पेट का कैंसर : इन लक्षणों की अनदेखी कतई न करें
पेट के कैंसर को गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है. कैंसरग्रस्त कोशिकाओं का विकास पेट के किसी भी भाग में हो सकता है. पेट का कैंसर कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होता है. प्री-कैंसर स्टेज में पेट की अंदरूनी भित्ती में कुछ परिवर्तन होते हैं, लेकिन लक्षण इतने मामूली होते हैं कि पकड़ में नहीं आते, इसीलिए इसके केवल 20 प्रतिशत मामले ही पहली स्टेज में डायग्नोज हो पाते हैं.
लक्षणों से पहचानें : कैंसर के गंभीर होने पर निगलने में परेशानी होना, खाना खाने के बाद पेट फूलना, थोड़ा-सा खाने पर ही पेट भरा हुआ होने का एहसास होना, अपच और एसिडिटी, पेट दर्द और सूजन, जी मचलाना, मल का रंग गहरा हो जाना आदि.
रिस्क फैक्टर्स : पेट का कैंसर होने के कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन कुछ कारक हैं, जो इसकी चपेट में आने की आशंका को बढ़ा देते हैं जैसे- लगातार ऐसे भोजन का सेवन, जिसमें नमक और मसाले अधिक मात्रा में हों. फलों और सब्जियों का कम मात्रा में सेवन, पेट के कैंसर का पारिवारिक इतिहास, गैस्ट्रो-इसोफैगियल रिफ्लक्स डिजीज, बैक्टारिया जैसे- एच पायलोरी का संक्रमण आदि.
डायग्नोसिस : यह अधिकतर मामलों में एडवांस स्टेज पर डायग्नोज होता है.
उपचार : इसपर निर्भर करता है कि कैंसर पेट के कौन से भाग में विकसित हुआ है और कौन से चरण में है. अगर समय रहते उपचार न हो तो वह फेफड़ों आदि में फैल सकता है.