देश की जेलों में बिना सजा के बंद हैं 75% कैदी
देश की जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या में साल 2020 में तेजी से बढ़ोतरी देखी गयी है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ आई है जिसके अनुसार, जेल में बंद करीब पांच लाख कैदियों में 75% कैदी विचाराधीन हैं. रिपोर्ट की मानें तो 2020 के अंत तक देश की जेल में बंद कैदियों की संख्या 4.83 लाख थी. एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 से देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है. जबकि कैदियों के दोष सिद्ध होने की संख्या में 15% की कमी आयी है. जमानत पर रिहा किये जाने के कारण साल 2020 में 2019 की तुलना में विचाराधीन कैदियों की संख्या में 2.6 लाख की कमी आयी.
पंजाब में सबसे अधिक बढ़ोतरी
विचाराधीन कैदियों के अनुपात में सबसे अधिक वृद्धि पंजाब में हुई. यहां यह 2019 में 66% से बढ़कर 2020 में 85% हो गया. इसके बाद हरियाणा, जहां यह अनुपात 64% से बढ़कर 82% हो गया. मध्य प्रदेश में विचाराधीन कैदियों की संख्या 54% से बढ़कर लगभग 70% हो गयी. छत्तीसगढ़ में विचाराधीन कैदियों के अनुपात में 10% से अधिक की वृद्धि देखी गयी. मध्य प्रदेश को छोड़कर, अन्य तीन राज्यों में दोषियों की रिहाई के कारण जेल में बंद कुल कैदियों की संख्या में कमी देखी गयी. दिल्ली में विचाराधीन कैदियों की संख्या 82% से बढ़कर 91% हो गयी है.
बिहार, झारखंड, ओड़िशा में बढ़े विचाराधीन कैदी
बिहार में जेल में बंद कैदियों की संख्या में 12,120 की बढ़ोतरी हुई है. इनमें से अधिकांश विचाराधीन कैदी हैं. यूपी, झारखंड, ओड़िशा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी यही स्थिति है. 2019 में, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों का संयुक्त विचाराधीन अनुपात 83.4% था, जो देश में सबसे अधिक था. यह 2020 में बढ़कर 90.5% हो गया. झारखंड में यह 2019 के 68.4% के मुकाबले बढ़कर 77.1% हो गया है, तो बिहार में 78.6% से बढ़कर 85.1%, ओड़िशा में 78.6% से बढ़कर 82.7% हो गया है.