विश्व थैलेसीमिया दिवस: थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए वर-वधु का एचबीए 2 जांच जरूरी
गया : थैलेसीमिया एक गंभीर रोग है और इस रोग के प्रति जागरूकता जरूरी है. थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए जरूरी है कि शादी से पूर्व ही लड़के और लड़की के खून की जांच आवश्यक रूप से हो. विवाह से पूर्व जन्मपत्री मिलाने के साथ—साथ वर और वधु का एचबीए—2 का टेस्ट कराना चाहिए. इससे थैलेसीमिया जैसी आनुवांशिक रोग से बच्चों को बचाया जा सकता है. यह जानकारी विश्व थैलेसीमिया दिवस के मौके पर मगध मेडिकल कॉलेज के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम क दौरान अस्पताल अधीक्षक डॉ श्रीप्रकाश सिंह ने दी. इस दौरान शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ बीबी सिंह, केयर इंडिया के टीम लीड नरेंद्र कुमार सिंह तथा विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष व अन्य स्वास्थ्यकर्मी तथा थैलेसीमिया मरीजों व उनके परिजन भी मौजूद रहे. इस दौरान आमजन से स्वैच्छिक रक्तदान की अपील भी की गयी.
डॉ श्रीप्रकाश सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया डे केयर सेंटर राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा स्थापित किया गया है. यह डे केयर सेंटर मगध मेडिकल कॉलेज तथा स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था केयर इंडिया के संयुक्त सहयोग से संचालित किया जा रहा है. इस वर्ष 11 जनवरी से आठ मई के बीच थैलेसीमिया के 60 मरीजों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा मुहैया करायी गयी. इनमें 34 पुरुष तथा 26 महिला हैं. इन्हें 260 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया गया. वहीं हिमोफीलिया क चालीस मरीजों का ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया. इन मरीजों को 150 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया गया.
वंशानुगत रोग में शामिल है थैलेसीमिया:
कार्यक्रम में थैलेसीमिया विषय पर मरीजों तथा उनके परिजनों देखभाल के विषय में जरूरी जानकारी दी गयी. साथ ही थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए आयरन युक्त पोषण आहार वाले फुड बास्केट का वितरण किया गया. डॉ श्रीप्रकाश सिंह ने बताया कि इस डे केयर सेंटर के संचालित होने से खून से जुड़ी बीमारियों के इलाज में नि:शुल्क सुविधा प्रदान की जा रही है. बताया कि थैलेसीमिया हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है और मरीजों में शरीर में खून के थक्के जमा होने लगते हैं. यह रोग वंशानुगत रोग की श्रेणी में शामिल है. बच्चों में इसके होने की संभावना बहुत अधिक होती है. इसलिए ऐसे मरीजों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की एकमात्र उपाय है. ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मदद से रोगी के जीवन में इजाफा लाया जाता है. मगध मेडिकल कॉलेज में थैलेसीमिया बच्चों को नि:शुल्क खून की जांच, ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधाा और आयरन चिलेटिंग एजेंट औषधि प्रदान की जा रही है. साथ ही मरीजों का विशेष चिकित्सक से इलाज की सुविधा दी जाती है.
थैलेसीमिया के लक्षणों को जानना है जरूरी:
डॉ बीबी सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया के कारण पीड़ित बच्चे के शरीर का रंग पीला पड़ जाता है. बच्चों में जिगर, तिल्ली और ह्रय की साइज बढ़ने, शरीर में चमकड़ी का रंग काला पड़ने जैसी विकट स्थितियां पैदा होती हैं. थैलेसीमिया के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि मरीज को छाती में दर्द होना और दिल की धड़कन का सही से न चलना, बच्चों के नाखून और जीभ पीली पड़ना, सिरदर्द और चक्कर आना तथा बेहोशी जैसे लक्षण दिखते हैं. पैरों में ऐंठन होता है और चेहरा सूखने लगता है. मरीज का वजन नहीं बढ़ पाता है.