छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव : टीएस सिंहदेव कांग्रेस के लिए क्यों हैं जरूरी, जानें यहां
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए महज कुछ महीने ही रह गये हैं. इस बीच सबकी नजर पांच संभागों में से एक सुरगुजा पर टिक गयी है. हालांकि यहां कांग्रेस ने अंबिकापुर के विधायक टीएस सिंहदेव को मनाकर और उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद देकर मना लिया है लेकिन यहां की जंग रोचक होने वाली है. कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ के सत्ता की चाबी इसी संभाग के पास है. जो भी पार्टी सरगुजा में जीत दर्ज करती है वो ही सत्ता पर काबिज होती है.
अंबिकापुर के विधायक टीएस सिंहदेव कांग्रेस के प्रमुख नेता हैं जो पिछले कुछ वर्षों से नाराज चल रहे थे. चुनाव के पहले कांग्रेस ने उन्हें मना लिया है और सरगुजा की सभी 14 सीट जीतने का प्लान तैयार करने में जुट गयी है. छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से सरगुजा में टीएस सिंहदेव की मजबूत पकड़ मानी जाती है. इतना ही नहीं सरगुजा शाही परिवार के वंशज सिंहदेव पार्टी में आलाकमान के भरोसेमंदों में से एक हैं. सिंहदेव की पकड़ 6 जिले से बने सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर सीधे तौर पर मानी जाती है.
जानें कुछ रोचक बात
-सरगुजा संभाग में सरगुजा, मनेंद्रगढ़, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर और जशपुर नाम के 6 जिले शामिल हैं.
-टीएस सिंहदेव तीन बार से विधायक चुने जा रहे हैं और जनता के भरोसे पर खरा उतर रहे हैं. सिंहदेव 2008 में सरगुजा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गये थे. उन्होंने इस चुनाव में अपने विरोधी को 980 मतों के मामूली अंतर से हराया था. यह सीट पहले एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थी. 2008 में परिसीमन के बाद यह सामान्य सीट बन गयी थी, जो 2013 तक बरकरार रही.
-2013 में टीएस सिंहदेव दूसरा चुनाव 19400 वोटों के अंतर से जीते थे. इसके बाद 2018 में अपना तीसरा चुनाव में करीब 40 हजार वोटों के अंतर से जीता था. बघेल सरकार में उन्हें स्वास्थ्य, वाणिज्यकर, पंचायत व ग्रामीण मंत्री का कार्यभार दिया था.
कांग्रेस ने दी अहम जिम्मेदारी
टीएस सिंहदेव को 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद विधायक दल का नेता बनाया गया था. तभी से सिंहदेव प्रदेश में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने में लग गये थे और 2018 में पार्टी को सत्ता पर काबिज किया. 2018 विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र का मसौदा तैयार करने का प्रभार भी उन्हें मिला था. इसके बाद राज्य भर में यात्रा सिंहदेव ने की और चुनाव पूर्व दस्तावेज तैयार करने से पहले समाज के हर वर्ग से परामर्श लिया. कांग्रेस के घोषणापत्र में विशेष रूप से किसानों के लिए किये गये वादों के कारण 2018 के चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत हुई.