Sunday, December 29, 2024
Uncategorizedधर्म-कर्म

Dussehra 2021: दशहरा अपराजिता पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, अपराजिता का प्रयोग

कल विजयदशमी है। विजयदशमी के दिन अपराजिता पूजा का खास महत्त्व है। इस दिन माता को अपराजिता के फूल चढ़ाए जाते हैं।

दशहरा (Dussehra 2021) पूजा की विधि

जो व्यक्ति जीवन में हमेशा अपनी विजय चाहता है उसे अपराजिता (Aprajita) के बेल माता को चढाने चाहिए। उसके बाद उस बेल को मौली की तरह अपने हाथों में बांध लेना चाहिए। इस दिन शमी के पेड़ के निचे माता अपराजिता के पूजन के विधान भी है। यह पूजन आप अपने स्थानीय परंपरा के अनुसार भी कर सकते हैं।

अपराजिता पूजा का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

दशहरा अपराजिता (Dussehra 2021) पूजा का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) 15 October 2021 को दोपहर 2:01 PM से 2:48 PM तक है।

अपराजिता ( Apraajita )

अपराजिता ( Apraajita ) के पौधे के बारे में ये भी जान लें | ये देवी का प्रिय पुष्प है इसलिए ये नवरात्री में देवी के पूजन में प्रयुक्त होता है | ये सिर्फ दो रंगो में ही पाए जाते हैं: नीला और सफेद| इसका गहरा नीला रंग मन मोह लेता है | इसे घरों और बगीचों या मुख्य द्वार में सुंदरता के लिए लगाया जाता है।

Apraajita (अपराजिता) के अन्य नाम

विष्णुकांता, आस्फोता,विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, शंखपुष्पी, अश्वखुरा भी है|

Apraajita (अपराजिता) के धार्मिक महत्त्व

ये फूल माता काली के पूजन, शिव पूजन और शनि पूजन में प्रयुक्त होता है|
ये फूल विष्णु देव को भी प्रिय हैं|
भगवन वुष्णु को प्रिय होने की वजह से इसे विष्णुकांता के नाम से भी जाना जाता है|
दशहरे के दिन अपराजिता पूजा का विधान है जिसमें देवी को अपराजिता के फूल चढ़ाए जाते हैं|
विजयदशमी के दिन अपराजिता देवी के पूजा के बाद अपराजिता के बेल को हाथ में बांधने का विशेष महत्त्व है|
कहा जाता है की देवी अपराजिता जीवन में हमेशा हमारी विजय निश्चित करती है|

वास्तु महत्त्व

इसे घर में लगाने से धनलक्ष्मी की हमेशा वृद्धि होती है|
सफेद अपराजिता माता लक्ष्मी को आकर्षित करती है|

औषधीय गुण

इसके पत्तों को पीस कर मेहंदी के साथ लगाने पर बालों को मजबूती मिलती है|
अस्थमा में राहत दिलाती है|
इसके बीज कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं|
इससे मधुमेह भी नियंत्रित रहता है|
अपराजिता आँखों की रोशनी भी बढ़ाती है|
चहरे के झाईंयों को दूर कर निखार लाती है|
यह घावों के दर्द को कम कर, जल्दी भरने में सहायता करती है|
इसके जड़ के चूर्ण से गठिया का उपचार संभव है|
हाथीपांव के उपचार में भी प्रयुक्त होता है|
मूत्र से सम्बंधित रोगों के उपचार में भी मददगार होता है|
पीलिया रोग में भी इसके सेवन से विशेष लाभ होता है|
पेट में गैस और दर्द की समस्या से भी मुक्ति दिलाती है|
खराब गले को ठीक करने में अपराजिता काढ़ा उपयोगी है|