किसान आंदोलन के बीच अमित शाह ने किस किसान के घर जमीन पर बैठकर किया भोजन, जानें…
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के साथ संबंध मजबूत बनाने के प्रयास के तहत शनिवार को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में एक किसान के घर पर दोपहर भोजन ग्रहण किया. भोजन करने के दौरान उन्होंने कभी ऐसा महसूस होने नहीं दिया कि वे देश के गृह मंत्री है.
केंद्रीय मंत्री सनातन सिंह के बलिझुरी स्थित आवास गए और वहां कच्चे मकान में फर्श पर बैठकर दोपहर का भोजन किया. यहां मीडिया और पार्टी कार्यकर्ताओं का जमावडा नजर आ रहा था. साथ ही सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे. शाह के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और प्रदेश पार्टी प्रमुख दिलीप घोष भी थे.
सिंह के परिवार की महिला सदस्यों ने केले के पत्ते पर शाकाहारी बंगाली व्यंजन परोसने का काम किया. शाह और अन्य मेहमान दो-मंजिला फूस के घर के बरामदे में फर्श पर बैठकर भोजन में ‘साक भाजा’, ‘लोऊ दाल’, ‘शुक्तो’, ‘फूलगोभी तरकारी’, ‘पोस्तो’ और ‘तोक दोई’ खाया. भोजन परोसने के बाद कुछ खास चीजें नजर आई जिसकी चर्चा हम यहां करना चाहेंगे. जी हां…जैसे ही भोजन परोसा गया तो सबसे पहले खाना प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने शुरू किया. उसके बाद शाह ने दाल को भात में मिलाया और करीब नौ से दस बाद हाथ से उसे मिलाया जिसे बिहार और झारखंड की भाषा में ‘दाल-भात सानना’ कहते हैं.
कैलाश विजयवर्गीय ने भोजन ग्रहण करने से पहले भगवान को याद किया और हाथ जोडकर प्रार्थना करते दिखे. वहीं फर्श पर बैठने में मुकुल रॉय को पैर के कारण कुछ दिक्कत होती नजर आई. इनसब नेताओं के साथ कतार में सनातन सिंह भी भोजन करते नजर आये.
इससे पहले, सिंह की पत्नी सहित घर की महिला सदस्यों द्वारा केंद्रीय मंत्री और अन्य भाजपा नेताओं का स्वागत शंख बजाकर स्वागत किया गया. शाह का यह कदम तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. आपको बता दें कि शाह बंगाल में भाजपा की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं. शाह शनिवार को यहां पहुंचे और एक स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना की. यदि आपको याद हो तो शाह ने नवंबर में राज्य के अपने दौरे के दौरान बांकुड़ा में एक आदिवासी भाजपा कार्यकर्ता और उत्तर 24 परगना में एक माटुआ समुदाय के सदस्य के घर पर दोपहर का भोजन किया था.