Tuesday, January 21, 2025
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आरंभ है प्रचंड: कड़कनाथ को देखकर मुस्कराईं भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर

मध्य प्रदेश के जाने-माने पत्रकार और लेखक अमिताभ बुधौलिया अपने चौथे उपन्यास-कड़कनाथ को लेकर चर्चा में है। यह एक राजनीति व्यंग्य है। भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर उपन्यास के कुछ अंश पढ़कर काफी प्रभावित हुईं। अभी प्री-बुकिंग शुरू हुई है। कुछ दिनों बादा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा।

उपन्यास की कहानी कुछ यूं है-सियासत हो समाज; मुर्गा हर जगह अपने पंख फड़फड़ाता है! मौके-बेमौके कहीं मुर्गा ‘खाया’ जाता है, तो कहीं किसी को ‘मुर्गा बनाया’ जाता है! बिना खाए-पीये न देश चलता है और न दुनिया। खैर, यह कहानी मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले आलीराजपुर के एक दूरस्थ गांव की रहने वाली बदली और उसके ‘प्रिय कड़कनाथ’ के इर्द-गिर्द घूमती है। एक राजनीति पार्टी ने सीट आरक्षित होने से मजबूरी में सरंपच के लिए बदली को चुनाव में खड़ा किया था। लेकिन प्रतिद्वंद्वी नेता को यह चुभ रहा था। लिहाजा उसने कड़कनाथ को ही ‘पॉलिटिक्स’ में फंसाने की साजिश रची, क्योंकि बदली के लिए कड़कनाथ से प्रिय कुछ भी नहीं था। कड़कनाथ से शुरू हुई यह राजनीतिक लड़ाई भगोरिया पर्व पर एक रोमांचक मोड़ पर जाकर टिकती है। आखिर कड़कनाथ के चलते क्या-क्या कांड होते हैं, यह जानने के लिए पढ़िए-राजनीति व्यंग्य उपन्यास-कड़कनाथ!
इस जबरदस्त उपन्यास की प्री-बुकिंग शुरू है…
बुक करने के लिए –
8376835301 पर अपना पता भेज कर 330/- रुपये इसी नंबर पर हस्तान्तरित करके कन्फर्म करें…

बोधरस_प्रकाशन

मूल्य- 360 रुपये

उपन्यास पर कई फिल्म अभिनेताओं-डायरेक्टर, लेखकों और समाजसेवियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी

हिंदी साहित्य में ऐसे ही कथानक और परिवेश रचने की आवश्यकता है- नीलोत्पल मृणाल, युवा साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त लेखक

  • बहुत ही कमाल का एटमॉस्फियर क्रियेट किया गया है- यशपाल शर्मा, अभिनेता-निर्देशक
  • बहुत चित्ताकर्षक। कड़कनाथ और बदली का बहुत अच्छा और स्पष्ट वर्णन-प्रमोद माउथो, फिल्म अभिनेता
  • कड़कनाथ का एक-एक चरित्र जीवत सा प्रतीत होता है, मानों हम भी उपन्यास का कोई किरदार हो, कथा शैली प्रभावी और संजीदा है-सीमा देसाई, फिल्म निर्देशक और कोरियोग्राफर • उपन्यास की भाषा, माहौल और चरित्र चित्रण प्रभावशाली है। व्यंग्य का पुट रचना को जीवंत बना देता है- तेजेन्द्र शर्मा, साहित्यकार, लन्दन
  • कड़कनाथ पढ़ते समय लगता है कि जैसे हम कोई फिल्म देख रहे हो- राकेश श्रीवास्तव, अभिनेता
  • उपन्यास का कथ्य नया है। भाषा सधी हुई, शैली में प्रवाह है। हिंदी जगत में इसका स्वागत होना चाहिए-अश्विनी कुमार दुबे, उपन्यासकार
  • उपन्यास सियासत संस्कृति और आदिवासी जीवनशैली के विविध रंग दिखाता है- क्षमा उर्मिला, चित्रकार
  • नारी शक्ति और संघर्ष की दिलचस्प कहानी- संजना सिंह राजपूत, सामाजिक कार्यकर्ता
  • वह एक ऐसा उपन्यास है, जिसे पढ़कर हम अपने आसपास के समाज की और गहरी पड़ताल कर
    पाते हैं- अनिता प्रभा शर्मा, उप पुलिस अधीक्षक, प्रबुद्ध पाठक

•कथानक बहुत रोचक है। भाषा की सरलता इसके पठन को स्वाभाविक बनाती है-प्रार्थना भनोत जोशी, प्रोफेशनल

लेखक के बारे में
1978 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में जन्मे अमिताभ भोपाल में रहते हैं। कड़कनाथ से पहले तीन उपन्यास “सत्ता परिवर्तन उल्लू का पट्ठा और “इसक इंकलाब’ के अलावा एक कवितासंग्रहसरतें जिंदाबाद’ और एक व्यंग्य काव्य संग्रह फर्क पड़ेगा छप चुका है। अमिताभ पेशे से पत्रकार है। फिल्म लेखन, वृत्तचित्र, विज्ञापन और गीत आदि में भी प्रयोग करते रहते हैं। संपर्क-8462002585