5G Auction : अंबानी-अडानी पहली बार आमने-सामने
क्या अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के बीच टक्कर देखने को मिलेगी? इस बात की चर्चा सबकी जुबान पर इन दिनों है. आइए आपको बताते अखिर ऐसी चर्चा क्यों है. दरअसल, अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी वर्षों से अपने कारोबारी साम्राज्य के विस्तार के बावजूद एक दूसरे से सीधा मुकाबला करने से बचते रहे हैं. अब पहली बार इस महीने के अंत में 5जी दूरसंचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान दोनों एक-दूसरे के सामने होंगे. राजनीतिक रूप से अच्छी तरह से जुड़े दोनों गुजराती व्यवसायियों की प्रतिद्वंद्विता के बावजूद उनके बीच बाजार में पूरी तरह टकराव नहीं दिखाई देगा.
दूरसंचार कंपनियों ने निजी कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करने के लिए गैर-दूरसंचार संस्थाओं को स्पेक्ट्रम के किसी भी प्रत्यक्ष आवंटन का कड़ा विरोध किया था. उनका कहना था कि इससे उनका कारोबार गंभीर रूप से प्रभावित होगा. ये कंपनियां चाहती थीं कि गैर-दूरसंचार कंपनियां उनसे स्पेक्ट्रम लीज पर लें या वे उनके लिए निजी कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करें. लेकिन सरकार ने निजी नेटवर्क के पक्ष में फैसला किया.
स्पेक्ट्रम का निजी नेटवर्क के रूप में इस्तेमाल करेगा अडानी समूह
अडानी समूह ने स्पेक्ट्रम हासिल करने की दौड़ में शामिल होने की पुष्टि तो की, लेकिन साथ ही कहा कि वह स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल हवाई अड्डों से लेकर अपने व्यवसायों का समर्थन करने के लिए एक निजी नेटवर्क के रूप में करेगा. बयान में कहा गया, हम हवाईअड्डों, बंदरगाहों और लॉजिस्टिक, बिजली उत्पादन, पारेषण, वितरण और विभिन्न विनिर्माण कार्यों में बढ़ी हुई साइबर सुरक्षा के साथ ही निजी नेटवर्क समाधान मुहैया कराने के लिए 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग ले रहे हैं. इसका मतलब है कि समूह उपभोक्ता मोबाइल टेलीफोनी क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेगा. नीलामी के लिए चार निजी कंपनियां-जियो, एयरटेल, वोडाफोन व अडानी समूह ने आवेदन किया है.