सामुदायिक सहभागिता से कुपोषण होगा दूर, बदलेगी सेहत की तस्वीर
गया : राष्ट्रीय पोषण माह को लेकर जिला बाल समेकित विकास परियोजना कार्यालय में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी किसलय शर्मा की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में सभी प्रखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सहित जिला समन्वयक व जिला कार्यक्रम समन्वयक तथा संबंधित संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने कार्यशाला का उद्धाटन द्वीप प्रजव्वलित कर किया.
कोविड 19 प्रोटोकॉल के पालन का निर्देश:
उन्होंने बताया इस वर्ष पोषण माह “किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए अतिगंभीर कुपोषण व वृक्षारोपण के साथ बच्चों की पहचान और ट्रैकिंग कर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजना’ थीम के साथ मनाया जा रहा है. सभी प्रखंडों में सीडीपीओ के माध्यम से आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा पोषण के प्रति जागरूकता लाने, समुदाय में पोषण संबंधी व्यवहार परिवर्तन और अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करने के लिए कहा गया है. 30 सितंबर तक सघन अभियान चलाकर पोषण के प्रति जनआंदोलन में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से पोषण माह का आयोजन किया गया है. उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि अन्नप्राशन व गोदभराई जैसे सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन कोविड 19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए घर पर ही करना है. कोविड 19 के नियमों के पालन में लापरवाही नहीं बरती जाये. साथ ही आंगनबाड़ी सेविकाओं व महिला पर्यवक्षकों को मास्क, साबुन व सेनिटाइजर के इस्तेमाल करने व इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है.
कैलेंडर के अनुसार गतिविधियों का किया जायेगा आयोजन:
आईसीडीएस जिला समन्वयक सबा सुल्ताना ने बताया पोषण माह को लेकर आइसीडीएस द्वारा गतिविधियों का कैलेंडर जारी कर दिया गया है और सभी संबंधित अधिकारी कैलेंडर के अनुसार गतिविधियों का आयोजन कराते हुए इसकी जानकारी पोर्टल पर भी अपलोड करवायेंगे. कंनवर्जन एक्शन प्लान के तहत कैलेंडर के अनुसार गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा.
पोषण अभियान के लक्ष्यों पर हुई चर्चा:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए यूनिसेफ के डिवीजनल कॉर्डिनेटर, न्यूट्रिशन आशुतोष कुमार ने पोषण अभियान के लक्ष्यों की चर्चा करते हुए बताया कि कम वजन वाले बच्चों की संख्या को 2 प्रतिशत व 6 माह से 59 माह के एनीमिया प्रभावित शिशुओं तथा 15 से 49 वर्ष की एनीमिया पीड़ित किशोरियों व महिलाओं की संख्या को 3 प्रतिशत की सालाना दर से कम करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया शिशु के जन्म के बाद नियमित स्तनपान नहीं कराने, 6 माह की उम्र के बाद अनुपूरक आहार नहीं मिलने व बाद के समय में आहार में पोषक तत्वों की कमी की वजह से बच्चे कुपोषित होते हैं और उम्र की तुलना में उनका शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता है.
वजन व लंबाई माप कर कुपोषित बच्चों की करें पहचान:
केयर इंडिया के जिला तकनीकी पदाधिकारी, आउटरिच एंड न्यूट्रिशन अमित कुमार ने कहा पोषण माह के दौरान आयोजित की जाने वाली गतिविधियों में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करते हुए पोषण से जुड़ी जानकारी व समुदाय के व्यवहार परिवर्तन को सुनिश्चित कराना बड़ी जिम्मेदारी है. वजन व लंबाई मापने की डिजीटल मशीनों की मदद से कुपोषित बच्चों को चिन्हित करना है. साथ ही उनके परिजनों को बच्चे के विशेष आहार व खानपान पर जानकारी देना है.
इस मौके पर जिला परियोजना सहायक शहला नाज, जिला कार्यक्रम समन्वयक सुशांत आनंद, जिला कार्यक्रम सहायक विशाल वर्मा, सेंटर फॉर लर्निंग रिर्सोसेज के जिला कार्यक्रम प्रबंधक विद्याधर, जीविका से हेल्थ एंड न्यूट्रिशन मैनेजर शंभु प्रकाश व अन्य लोग मौजूद थे.