शरीर के हर अंग के लिए खतरनाक है धूम्रपान, आप भी जानें ये बातें
धूम्रपान या स्मोकिंग न सिर्फ खुद को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आपके संपर्क में रहनेवाले सगे-संबंधियों, मित्र और आपके बीवी-बच्चों पर भी बुरा असर डालता है. धूम्रपान से खतरनाक केमिकल्स हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं एवं तरह-तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं. धूम्रपान ने निकलने वाले धुएं में मुख्य रूप से निकोटिन, आरसेनिक, कार्बन मोनोआक्साइड, लेड (शीशा), फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन, कई तरह के रेडियो एक्टिव एलिमेंट, अमोनिया एवं अन्य गैसें निकलती हैं. इनके कारण धूम्रपान करनेवाले (एक्टिव और पैसिव) लोगों में फेफड़ा, गला एवं मुंह के कैंसर का खतरा करीब 12-14 गुणा तक बढ़ जाता है.
इससे इसोफेगस (खाने की नली) का कैंसर, हार्ट अटैक और मूत्र की थैली के कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है. 80 प्रतिशत सीओपीडी एवं दमा के मरीज की मौत धूम्रपान के कारण ही होती है.
धूम्रपान से होनेवाली परेशानी :
दम फूलना, छाती में दर्द, बराबर खांसी या स्मोकर्स कफ, खांसी में खून आना, आवाज भारी होना, गले में किचकिच होना, पानी निगलने में भी दर्द होना आदि. स्मोकर्स की अंगुली, होंठ, दांत में स्मोकिंग के दाग पड़ जाते हैं.
जो लोग सिगरेट नहीं पीते, लेकिन उसके द्वारा छोड़ा हुआ धुआं सांस द्वारा लेते हैं (पैसिव स्मोकिंग) उन्हें भी लंग्स कैंसर, हृदय एवं सांस की बीमारी होने की आशंका होती है. धूम्रपान के धुआं में करीब सात हजार से ऊपर केमिकल्स पाये जाते हैं.
सभी अंगों को करता है प्रभावित
सांस की बीमारी : धूम्रपान हमारी सांस की नली एवं फेफड़े को क्षतिग्रस्त कर देता है. इससे एम्फाइजिमा एवं क्रॉनिक ब्रान्काइटिस (सीओपीडी) हो सकती है. दमा की बीमारी में यदि धूम्रपान करते हैं या उसके संपर्क में आते हैं, तो आपको दमा का अटैक भी आ सकता है. सांसें फूल सकती हैं.
एम्फाइजिमा : सांस की नली विभाजित होते हुए, अंत में एयर सैक (बैलून जैसा) में खुलता है, जो प्रत्येक बार सांस लेने पर फूलती है एवं सांस छोड़ने पर पचकती है. इसी एयर सैक से हवा एवं खून के बीच ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइआक्साइड का लेन-देन होता है. एम्फाइजिमा में एअर सैक क्षतिग्रस्त होने लगती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. कई बार आॅक्सीजन भी चढ़ाना पड़ता है. इस तरह के क्षतिग्रस्त एयर सैक को पुन: ठीक नहीं किया जा सकता है और सांस लेने में आजीवन परेशानी का सामना करना पड़ता है.
क्रॉनिक ब्रान्काइटिस : धूम्रपान के कारण सांस की नली में सूजन हो जाती है. इससे लंबे समय तक खांसी व बलगम की परेशानी होती है. सूजन के कारण काफी पानी बनते रहता, उसे ही निकालने के लिए खांसी करनी पड़ती है. इसी पानी के जमने से उसमें इन्फेक्शन होता है, जिससे निमोनिया एवं ब्राॅन्काइटिस हो सकता है. इसमें सांस की नली क्षतिग्रस्त होकर फैल जाती है एवं कफ बाहर निकालने में दिक्कत
होती है.
हृदय की बीमारी : धूम्रपान से हृदय की गति तेज हो जाती है. खून की नली में कड़ापन आ जाता है. कई बार हृदय गति एब्नाॅर्मल एवं इरेगुलर हो जाती है. 20 प्रतिशत हृदय रोगी धूम्रपान के शिकार होते हैं. ऐसी महिलाएं, जो डायबिटीज से पीड़ित हों एवं गर्भ निरोधक गोलियां ले रही हों, उनमें धूम्रपान के कारण हार्ट अटैक की आशंका काफी बढ़ जाती है.
ब्रेन स्ट्रोक : खून की नली में धूम्रपान के कारण चर्बी, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम एवं अन्य का प्लॉक बन जाते हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है. कई बार यह ब्लॉक भी हो जाती है. इससे ब्रेन में जानेवाली खून की नली में रुकावट उत्पन्न होती है और ब्रेन को ऑक्सीजन व भोजन नहीं पहुंच पाता. इससे ब्रेन सेल्स मरने लगते हैं, जिसे स्ट्रोक कहते हैं. इससे पैरालिसिस अटैक, मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या हो सकती है.