Tuesday, November 26, 2024
लाइफ स्टाइल

टीबी मरीजों को कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा दोगुना

कोरोना आपदा काल में ट्यूबरकलोसिस(टीबी) के मरीजों को बहुत अधिक सावधान रहने की जरूरत है. टीबी के मरीज यदि कोविड 19 से संक्रमित होते हैं तो यह उनके श्वसन तंत्र को और अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करेगा. टीबी के मरीजों को घर पर ही एकांत में रह कर स्वयं को सुरक्षित रखने की कोशिश करनी चाहिए. बहुत आवश्यक होने पर उन्हें बाहर निकलना चाहिए. बाहर निकलने के दौरान मास्क का इस्तेमाल जरूरी है. अन्यथा उनका खांसना व छींकना स्वयं उनके लिए व दूसरों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है. टीबी एक संक्रामक रोग है, इसलिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसका संक्रमण फ़ैल सकता है. साथ ही बिना मास्क पहने टीबी रोगी द्वरा खांसने व छींकने के क्रम में वह स्वयं कोविड 19 से संक्रमित भी हो सकते हैं.

टीबी के मरीजों के लिए कोविड 19 जांच जरूरी: टीबी व कोविड 19 जैसी संक्रामक रोगों की रोकथाम के मद्देनजर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक गाइडलाइन जारी कर सभी टीबी मरीजों के लिए कोविड 19 जांच को महत्वपूर्ण बताया है. गाइडलाइन के अनुसार कोरोना काल में टीबी मरीजों को कोविड 19 वायरस की चपेट में आने का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में दोगुना होती है. मंत्रालय के अनुसार कोरोना से प्रभावित लोगों में टीबी के भी लक्षण पाये गये हैं. गाइडलाइंस में इंफ्लूएंजा और दूसरी अन्य सांस की गंभीर बीमारियों के लक्षण वाले रोगियों की कोविड 19 जांच के लिए भी कहा गया है. साथ ही कोविड 19 से प्रभावित सभी लोगों की टीबी जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं.

टीबी और कोविड 19 दोनों हैं संक्रामक रोग: टीबी और कोविड 19 दोनों श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोग हैं. इन दोनों रोग के लक्षण भी लगभग समान हैं. जैसे रोगों में कफ व खांसी होना, बुखार आना व सांस लेने में परेशानी देखने को मिलती है. टीबी रोग के लक्षण बहुत लंबे समय में सामने आते हैं. कुपोषितों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है. टीबी रोग के होने की सबसे बड़ी वजह धूम्रपान व तंबाकू सेवन है.

टीबी से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान: यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से खांसी है तो उसे तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए. मरीज के खांसने से मुंह से निकले ड्रापलेट्स के माध्यम से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया दूसरे लोगों तक जाता है और उन्हें भी संक्रमित कर देता है. टीबी के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है.

बच्चों का जरूर हो बीसीजी टीकाकरण: वर्ष 2025 तक देश में टीबी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. भविष्य में टीबी के रोगियों की संख्या कम से कम की जा सके, इसलिए बच्चों को बीसीजी का टीकाकरण जरूरी हो जाता है. बीसीजी टीकाकरण टीबी से निपटने का महत्वपूर्ण उपाय है. वहीं रोगियों को टीबी के इलाज के लिए दिये जाने वाली दवा को सेवन नियमित तौर पर करते रहना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *